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कहीं भूख सताती पल पल,
जीर्ण वस्त्र में लिपटी काया,
कहीं पड़े हैं भरे खजाने,
हर पग बढ़ती जाती माया.
- राजीव ' हैरान '
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कहीं भूख सताती पल पल,
जीर्ण वस्त्र में लिपटी काया,
कहीं पड़े हैं भरे खजाने,
हर पग बढ़ती जाती माया.
- राजीव ' हैरान '
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