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आबो हवा इस दौर में इस कदर बदल गया है,
सर्दी के बाद गर्मी, मौसम ए बहार टल गया है,
पसरी है आलूदगी पानी मे और हवा मे,
न पाकीज़गी है इनमे न ताज़गी बची है,
तरक्की की अंधी दौड़ मे न इन्सां ही रहा बाकी,
न इन्सानियत बची है,
वक्त के इस दौर मे मौसम बदल रहा है।
- राजीव ' हैरान '
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