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मत पूंछ समंदर से के जाना कहां है
मत पूंछ लहरों से किनारा कहां है ।
समंदर की रवानी देखो बहता हुआ पानी देखो
उसे खुद पता नहीं की ठिकाना कहां है।
चलते चलो आगे बढ़ते चलो, जो गुजर गया उसे भूल जाओ आने वाले से समय में पहले से बेहतर करो।।
लेखक- राजधर अठया।।
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