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माना मेरे सामने मुस्कुराकर नहीं बोलते
पर अकेले में मेरे बारे में सोचते तो हैं
जब पास नहीं होते हम तुम्हारे
अपने सपनों में मुझे खोजते तो हैं
हम रोज साथ गलियों में नहीं घूमते
पर काल्पनिक दुनियां में साथ नाचते तो हैं
न तुम कहते हो न हम कहते हैं
पर एक दूसरे के बारे में सोचते तो हैं
जब सामने आते हो तो नजरें फेर लेते हैं
पर कुछ देर पीछे से निहारते तो हैं
माना सामने से नमस्ते नहीं होती है
पर अकेले में एक दूसरे को पुकारते तो हैं
RAJAT ROHIT RAJPUT
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