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हुआ इंसान को घमंड बड़ा, है उससे खूबसूरत कुछ नहीं
हुआ उसे यकीन भी बहुत, है उसे झुठलाना आसान नहीं।
चलता रहा कुछ दिन फक्र से, खोखली बुनियादें साथ लिए
ना लिया काम एक दिन सब्र से, यार मजहब भी बांट लिए।
उसी शाम को मिला इश्क से, उसी मिठास में खो गया
कर मैला बिस्तर, दुख बांटे उससे, चादर ओढ़ी सो गया।
रूएंदार नीला सा कोट पहने, देख रहा था आ
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