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बेचैनी और विश्वास, एक शरीर के हैं दो सार
जो सहमा सो डूब गया, वरना नदी के पार।
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बेचैनी और विश्वास, एक शरीर के हैं दो सार
जो सहमा सो डूब गया, वरना नदी के पार।
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