Share1 Bookmarks 48294 Reads0 Likes
माना कि अभी आग नहीं हूं मैं,
सुलगता अंगारा हूं पर, अभी राख नहीं हूं मैं।
बाकी है हौसलों में चिंगारी अभी,
जिंदा है सपने, अभी ख़ाक नहीं हूं मैं।
माना कि अभी आग नहीं हूं मैं,
सुलगता अंगारा हूं पर, अभी राख नहीं हूं मैं।
बाकी नहीं है कुछ कहने को, खामोशी का दौर है,
हां अब पहले जैसा बेबाक नहीं हूं मैं।
माना कि अभी आग नहीं हूं मैं,
सुलगता अंगारा हूं पर, अभी राख नहीं हू
सुलगता अंगारा हूं पर, अभी राख नहीं हूं मैं।
बाकी है हौसलों में चिंगारी अभी,
जिंदा है सपने, अभी ख़ाक नहीं हूं मैं।
माना कि अभी आग नहीं हूं मैं,
सुलगता अंगारा हूं पर, अभी राख नहीं हूं मैं।
बाकी नहीं है कुछ कहने को, खामोशी का दौर है,
हां अब पहले जैसा बेबाक नहीं हूं मैं।
माना कि अभी आग नहीं हूं मैं,
सुलगता अंगारा हूं पर, अभी राख नहीं हू
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments