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हाँथो की लकीरो से तक़रार लिए बैठे है
जिंदगी जीने के हर औज़ार लिए बैठे है
हौशला है अभी बाकी मालूम हो जमाना
दुआओ की पतवार मझधार लिए बैठे है
कुछ देर ही सही अब जो सीखा है हुनर को
राकीबो के शहर में हम नकाब लिए बैठे है
मिट ही जाती ये हस्ती जो बता देते हर "राज"
हँसते है सारे आम दिल में गुबा
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