नज़दीकियां's image
Share0 Bookmarks 25 Reads0 Likes

नजदीकियाँ इतनी की खलने लगे है

शर्ते मोहब्बत की बदलने लगे है

जो न बदलते हम तो जीते भी कैसे 

चाहत की हद में वो बदलने लगे है


बदलने का चलन कोई नया तो नही

दुनिया अब आदाओं पे मरने लगे है

गुमान है उनको भी हस्ती का अपने

शराफत में वो अब बदलने लगे हैं


बीते दिन झरोखे भी सुने पड़े है 

हुई शाम पर्दो में चलने लगे है 

मिलो जो कभी "राज"ज़िक्र कर लेना 

दीवानगी मेरी अब मचलने लगे है


कैसे बताये की तेरे जब्त में है 

क्यों शोखी तुम्हारी अब संभलने लगे है

बड़ा शोर था फिर आज मैकदे मैं 

"राज"छलके जो प्याले वो घुलने लगे है


सदा के लिए बंद हो जाती ये आँखे

ख्वाबो में आ कर वो टहलने लगे है 

कही कोई इल्ज़ाम न आये फिर तुम पर 

"राज" छुप कर अब तुम से चलने लगे है...


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts