जिंदगी एक नशा's image
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जिंदगी भी अब इक नशा सी है 

कुछ खुश तो कुछ ख़फ़ा सी है

जुर्म किसकी अब कैसे बताये 

रूठ कर कुछ बेवफा सी है 


बीते पलो को अब कब तक रोए

आज फिर क्यों इधर आज़ा सी है

बहुत सताये गए थे वो शायद 

सिर पर जिनके आज क़ज़ा सी है 


अलग अलग नशा है यहाँ जहां में

हर किसी को कुछ गुमान सी है 

किसकी है इतनी बिसात यहाँ पर 

देख लेने को बाकी आसमान भी है


नशे में फिर भूल जाना ही है बेहतर 

यादो का क्या है बदगुमान सी है

होश वालो से जा कर के तो पूछो

दर्द ही "राज" अब तो दवा सी है 


बहुत समझाया था फिर इस दिल को

कहता है वो आज फिर खफ़ा सी है 

क्या नया "राज"अब तू दिखायेगा मौला 

तजुर्बों में कुछ अभी बचा भी है 


गिरते गिराते यहाँ तक आ गए अब 

आगे की तो अब बस दास्तान सी है

ज़ख्मो से यहाँ तुम कब तक बचोगे 

अपनो के लहू में कुछ दगा सी है


नशे में हर शक्श वाकिफ है इस से

हर दर्द यहाँ पर कुछ जुदा सी है

संभालो तुम खुद जाने को वहां तक 

"राज" कहने को जो आसरा सी है


सच का नशा भी कुछ तो जुदा है

"राज" जानता उसे बस खुदा ही है ......


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