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हम हो गए बदनाम ,पर इलज़ाम अभी बाकि है
गुज़री नहीं है शाम, जाम अभी बाकि है
नज़रे जो मिली फिर उनसे,पैगाम अभी बाकि है
मारे गए गुलफ़ाम, इंतकाम अभी बाकि है
मुनासिब कहाँ हो जाये हर हसरत यहाँ पूरी
ये बात हुई अब आम , बस गुमान अभी बाकि है
नज़रे न भटकती तो दिल भी बेचैन तो न होता
समझते तो थे ये "राज",पर अंजाम अभी बाकि है
हाले दिल हमारा कभी पूछा ही नहीं था उसने
थक गयी अब साँसे , अरमान अभी बाकि है
रुखसत पे फिर हमारे तड़पेगी रूह मेरी
लब खामोश हो चले थे, पर एहतराम अभी बाकि है
मुमकिन हो अगर तो इज़हार फिर कर देना
दीवानगी में अब भी ,"राज"नाम अभी बाकि है ....
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