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फिर आज कोई कुत्ता सड़क की भेंट चढ़ गया,
किसी को मिली न फुरसत वहीं पड़ा रह गया।
कितने ही लोग वहाँ से गुजरते रहे,
मंजिलों पे आगे को बढ़ते रहे।
कुत्ते हैं इनका यही हश्र होता है,
कुत्ता सदा कुत्ते की मौत मरता है।
पर बात ये छोटी सी यहीं नही रुकती,
सूरज के निकलने पर चांदनी नहीं रहती।
कुत्ता है एक झटके में चला जाता है,
बेबस गरीब बेचारा रोज झटके खाता है।
अंतर इतना है,उसके प्राण नहीं निकलते,
चलता रहता दिन रात यूं ही पांव नही थकते।
हाथों में थैला लिए रहता है,
सुबह भोर ही घर से निकलता है,
कठिन हालातों से झूझता जाता है।
कभी रफ्तार पैरों की, कभी कुत्तों को भगाता है।
गली के कुत
किसी को मिली न फुरसत वहीं पड़ा रह गया।
कितने ही लोग वहाँ से गुजरते रहे,
मंजिलों पे आगे को बढ़ते रहे।
कुत्ते हैं इनका यही हश्र होता है,
कुत्ता सदा कुत्ते की मौत मरता है।
पर बात ये छोटी सी यहीं नही रुकती,
सूरज के निकलने पर चांदनी नहीं रहती।
कुत्ता है एक झटके में चला जाता है,
बेबस गरीब बेचारा रोज झटके खाता है।
अंतर इतना है,उसके प्राण नहीं निकलते,
चलता रहता दिन रात यूं ही पांव नही थकते।
हाथों में थैला लिए रहता है,
सुबह भोर ही घर से निकलता है,
कठिन हालातों से झूझता जाता है।
कभी रफ्तार पैरों की, कभी कुत्तों को भगाता है।
गली के कुत
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