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मेरे मन के मदिरालय में
है अजब नशा मीठा मीठा
आ बैठ जरा चख ले जी ले
भर भर पी ले मीठा मीठा
मेरी मदिरा शब्दों से बनी
भावों में पकी अंसुवन सी बही
है भरी हृदय के गागर में
ले आ प्याला अपने पन का
पी ले जी कर मीठा मीठा।<
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