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मोहभंग होने लगा अब
श्वेत श्याम होने लगा सब
ये रंग मंच पात्र ये कथानक
सभी क्षणभंगुर लगते हैं
गहराती जाती है रात ज्यों
ज्यों दिवस घटते हैं
ज्योति ज्यों ज्यों
घटती जा रही
वस्तुस्थिति त्यों त्यों
स्
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