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हे शिवश॔कर,हे विश्वनाथ!
देवाधिदेव,हे भूतनाथ !
हम आर्तजनों के दुखहर्ता
बरसाओ फिर से कृपा नाथ।
हे नीलकंठ, हे महाकाल !
हे ग॔गाधर, हे च॔द्रभाल !
स॔हार करो आसुरी वृत्ति
कर दो फिर जन जन को निहाल।
हे न॔दीश्वर, हे नागेश्वर !
हे प्रलय॔कर,हे रामेश्वर !
भोलेश॔कर,औघड़दानी
याचक को दो मनचाहा वर ।
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