कल रात's image
Share0 Bookmarks 48 Reads0 Likes

रात भर जोर की बरसात हुई 

हर तरफ सिर्फ अंधेरा था ऐसी रात हुई 

कभी चमकी अगर बिजली तो उजाला देखा 

वरना यह रात स्याह रात हुई ।


रात भर साथ रहे, जाग रहे थे तुम भी 

फिर भी कुछ कहा नहीं, न ही कोई बात हुई 

सुबह मुंह फेर लेना, चल देना 

यही होना था तो फिर किसलिए वो रात हुई?


क्या पता बिछड़ जाएं हम तो फिर पता न मिले 

मन में रह जाएं सारे शिकवे गिले 

रात में मौके थे पर रात यूं ही बीत गई 

अब ये लगता है बेवजह सारी रात गयी।


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts