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हिन्दी व्य॔ग्य

Raj MishraRaj Mishra September 10, 2021
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व्यंग्य विधा के अंतर्गत बहुत कम लिखा गया है। जो भी उपलब्ध है उसमें विशुद्ध व्यंग्य न होकर हास्य-व्यंग्य है। इसे व्यंग्य विनोद भी कहा गया है। 

व्यंग्य सीधी चोट कर मर्माहत करता है जबकि हास्य-व्यंग्य सहलाता और किसी हद तक गुदगुदाता चलता है। 

केवल व्यंग्य लिखना कठिन कार्य है। इसीलिए हास्य-व्यंग्य लिखनेवालों की भरमार है, व्यंग्य रचनाकार उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। 

कबीर को हम पहला व्यंग्यकार मान सकते हैं। उसी परम्परा में हरिशंकर परसाई आते हैं। ऐसे लोगों को समाज सहजता से नहीं स्वीकार करता और उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ता है। 

परसाई और शरद जोशी ने इस विधा में खूब लिखा और स्तरीय लिखा। जोशी का लेखन उस सूक्ष्म लकीर को नहीं लांघता जहां व्यंग्य की न्यूनता और हास्य की प्रधानता हो जाती है। शब्दों और वाक्य को उधेडना फिर बुनना उ

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