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कानपुर भ्रमण के बाद अगले गंतव्य के बारे में सोचा गया। तय हुआ कि लखनऊ चला जाय। वो बोली कि
अम्मा ने कभी बाहर जाने ही नहीं दिया। अब काहे की
रोक टोक, चलो बेखटके घूम आएं। वह राजी हो गया। शीघ्र ही लखनऊ पहुंच गए, किन्तु सब बेमजा हो गया।
हर तरफ लोगों का हुजूम था। जगह-जगह पुलिस लगी हुई थी। लखीमपुर खीरी की चर्चा जोरों पर थी। वहां हुए कांड को लेकर गर्मागर्म बहसें हो रही थीं।कहीं कहीं धरना प्रदर्शन हो रहा था तो कहीं नेतागण लखीमपुर जाने की तैयारी में जुटे थे। कोई प्रेसवार्ता कर रहा था।
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