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पीपल पर ठहरे हुए एक कालख॔ड बीत गया।
दोनों ही अब समान दिनचर्या से ऊबने लगे थे।
यह निश्चित किया गया कि इधर-उधर की तफरीह लें।
चलो पहले कानपुर की आकाश मार्ग से यात्रा की जाए।
प्रस्ताव पारित हुआ और दो दीवाने उड़ चले।
आकाश मार्ग से शहर देखने का यह अभिनव प्रयास था।
सबसे पहले रेलवे स्टेशन, घंटाघर और एयरपोर्ट देखा। तत्पश्चात ग॔गा बैराज का विह॔गम दृश्यावलोकन किया।
मेट्रो रेल मार्ग के लिए खुदी, गड्ढा युक्त, मुक्त सड़कें देखीं।
शहर के बाजार, माल वगैरह अब खुलने लगे थे।
कोरोनावायरस का सर्वनाशी प्रभाव कम हो चला था।
अचानक एक दिन प्रेत ली
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