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सच को हर मोड़ पे हारते देखा,
जूठ करता नंगा नाच ।
स्वाभिमान को टुकड़े टुकड़े होते देखा,
गुलामगिरी पर आती नही कोई आंच ।।
सचा आदमी हर कदम पे पापड़ बेले,
ज
जूठ करता नंगा नाच ।
स्वाभिमान को टुकड़े टुकड़े होते देखा,
गुलामगिरी पर आती नही कोई आंच ।।
सचा आदमी हर कदम पे पापड़ बेले,
ज
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