ग़ज़ल's image
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चाल कम थी दाब बढ़ता जा रहा था
मैं नदी में और गहरा जा रहा था

वो जो आया था नदी पर पुल बनाने
वो नदी के साथ बहता जा रहा था

फ़ोन कटना इक बहाना है सरासर
अस्ल में तो फ़ोन काटा जा

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