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की अब बस तुझे भूलने के लिए याद करता हूं।
कुछ हद तक अपनी आदतों से सुधर रहा हूं मैं।।
जानता हूं तूने बदल लिया है शहर अपना।
फिर भी तेरी गली से गुजर रहा हूं मैं।।
और तू खिड़की पे नही फिर भी गुलाब फेंक आया।
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