Share0 Bookmarks 47757 Reads0 Likes
क्या याद है तुम्हे हमारी वो पहली मुलाकात,
जब बैठा था मैं समंदर के पास,
बिलकुल था तन्हा, उदास,
पता नहीं कौनसी पुर्नवासी को मैंने माँगा था टूटे तारे से एक मन्नत ख़ास,
जो तुम आयी थी उस रात,
बोहोत क़रीब मेरे पास,
और थामा था मेरा हाथ,
उस दिन से हर रोज़ तुम थी मेरे लिए सबसे ख़ास,
क्योंकि थी तुम मेरे दिल के सब्ब्ब्से पास,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments