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तुम रूठोगे, मैं मनाऊंगी नहीं
तुम्हारे लाख बुलाने पर भी मैं आऊंगी नहीं
अपनी जुराबें, रुमालेंऔर चाभीयां खुद ढूंढना
तुम्हारी खोई हुई फाइलें कहां हैं? पता है मुझे
पर मैं बताऊंगी नहीं
प्यार में हूं
इसी घर में हूं
तुम्हें छोड़कर भी मैं जाऊंगी नहीं
पर अब तुम रुठोगे मैं मनाऊंगी नहीं
मैंने भी अपना बैग लगा लिया है
पुरानी अलमारी की दराजों से झांकती उस डायरी में दबेअपने विचार और अस्तित्व निकाल लिये हैं
अपनी पहचान भी समेट ली है
मेरी ख्वाहिशें अब पहले से कुछ बड़ी है
मेरे फैसले भी अब मेरे अपने हैं
सही ग़लत का फरमान तुम मत सुनाना
तुम्हारी हर हां में अब मैं हां मिलाऊंगी नहीं
सब ठीक है
मैं प्यार में हूं
यहीं इसी घर में
तुम्हें छोड़कर भी मैं जाऊंगी नहीं
पर अब तुम रुठोगे मैं मनाऊंगी नहीं
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