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जब चिता की गर्म लपटें ठंडी हो जाएं
तब पूछना उन सभ्यता के पहरेदारों से
कि
वो जो दुपट्टे की चौड़ाई
और पल्लू की लंबाई नांपते हैं
अपने अंदर कब झांकेंगे
वो जो चुप रहकर
आंखें झुकाना
अपनी लाज बचाना
हमें सिखाते हैं
अपना ज्ञान कब तब बांटेंगे
खोखले ज्ञानियों को इतिहास पढ़ा दो
बता दो उन्हें कि
हमारी पीढीयों ने
आंचल कमर में खोंसकर
तलवारों की पैंनी धारों से
दानवों के सर कलम किये हैं
अब या वो सोच बदल लें
या हम तेवर बदल लेंगे
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