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रंजो ग़म के भी हैं कितने पहलू अलग
मेरे आँसू अलग उसके आँसू अलग
मत करो अपनी तुलना किसी और से
सारे फूलों की होती है ख़ुश्बू अलग
उसकी आँखों की है ऐसी कारीगरी
जैसे बैठे हो पलकों पे जुगनू अलग
मुझको मिलती है उल्फ़त यहाँ तौल कर
मेरी ख़ातिर हैं उसके तराज़ू अलग
देखो कैसा त
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