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हर सवाल का जवाब नहीं मिलता
कि कभी ज़मीं आसमां नहीं मिलता
अगर सूरज हो तो चमकते रहो
कि समंदर दरिया को नहीं मिलता
हर रहगुज़र पर उसकी नज़र है
कहीं छिपने का ठौर नहीं मिलता
खुद पे आयी तो समझ जाओगे
शब में कभी ख़ुर्शीद नहीं मिलता
मुसाफ़िर इक रास्ते के हैं सभी
हर वक़्त, वक़्त एक सा नहीं मिलता
© रविन्द्र कुमार भारती
#Rabindrakbharti
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