दौर's image
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वो दौर अब तो गुमनाम सा हो गया

हर शख़्स यूं गुनाहगार सा हो गया

मिठास बेस्वाद, फीका जहां हो गया

इधर आसमां के चाह में है दुनिया

उधर हर रिश्ता बेजान सा हो गया

खो गई कल की हर एक किलकारियां

शाद है न चमन खो गई रानाइयाँ

धुँधली हुई अपनत्व की परछाइयां

है कैसा दौर, मतलबी जहां हो गया

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