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वो देवियाँ हैं–
उन्हें वेश्याएं मत बोलो
यह शब्द सुनने पर उन्हें
कितना दर्द होता होगा, ये जानो।
ये भी किसी की माँ, बेटी–
और हैं– प्यारी, बहन भी।
जिंदगी बन गई है बोझ, जो उठती नहीं है
कितनी ही तीखी बात जो वे सह रही हैं
बात में आघात की ही,कहानी कह रहीं हैं।
वो देवियाँ हैं "पाप"को वे ढ़ो रही हैं
पाप या अतिचार जो हमने किये हैं
दोष किसका?उनकी इस दुर्दशा का ।
कैसी प्रथा?कैसा चलन है?
दर्द कोई और दे पाप कोई और ढ़ोये?
त्राण इनका हे नाथ!कर–
हे नाथ!इनको सनाथ कर!!
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