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विचार – प्रवाह ,३

R N ShuklaR N Shukla October 4, 2022
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प्रा 0 पाठशाला के दिन भी क्या थे !
प्रत्येक शनिवार अन्ताक्षरी ! 
पूछ-पूछ कर सुन्दर कविताएं , चौपाईयाँ , दोहे , सवैये आदि रट-रट कर जाते थे। बचपन की याद की हुईं कविताएं उच्च कक्षाओं से लेकर जीवन–परीक्षाओं के क्षेत्र में भी काम आती हैं।
पटरी , कापी –किताब पर रेंगने वाले कीटों को विद्या माता कह कर सावधानी पूर्वक हटाकर उन्हें हाथ

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