तुमसे मिलने आ पाऊँगा ?'s image
Poetry2 min read

तुमसे मिलने आ पाऊँगा ?

R N ShuklaR N Shukla March 30, 2023
Share0 Bookmarks 31231 Reads0 Likes
तुमसे मिलने आ पाऊँगा ?
चाह की सरिता उमग रही है ,
हाथ बँधे हैं हथकड़ियों से ,
पैरों में जंजीर बँधी है ,
इन जंजीरों को तोड़-फेंक
पावों में थिरकन ला पाऊँगा ?
तुमसे मिलनेआ पाऊँगा ?

प्यार की डाली झुकी हुई है
तेरी एक छुवन पाने को 
उत्कण्ठाएँ ! मचल रही हैं
नदी नहाने की बेला में
तुमसे मिलने आ पाऊँगा ?

दिन-दहाड़े , सरपट दौड़े
दुनिया की परवाह न करते 
भीड़–भाड़ से भरे शहर में
तुमको गले लगा पाऊँगा ?
तुमसे मिलने आ पाऊँगा ?

पश्चिम ! गोधूली वेला में
खेतों की मेढ़ों से होकर 
गदराये फसलों की झुरमुट से 
अगराये मन की आँखों से 
अपलक तुम्हें देख पाऊंगा ?
तुमसे मिलने आ पाऊंगा ?

शांत और एकांत प्रहर में 
धवल चंद्रिका की आभा में
टिम-टिम करते तारों के संग
सरवर तीरे...
धीरे – धीरे  चलते–चलते
तुमसे बातें कर पाऊँगा ?

छितवन के सुरभित आँगन में

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts