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तुम कहाँ हो माँ !

R N ShuklaR N Shukla May 7, 2022
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चलते - चलते ,

तुझे  ढूंढते-ढूंढते 


थक चुका हूँ  मैं !


तूने मुझे  जहाँ  फेंका  होगा 


उस  जगह  की  है  तलाश मुझे !


तुम कहाँ  हो  माँ ?


मैं  तेरे प्यार की 


बदनसीब   निशानी   हूँ 


एक बेनाम जीवित कहानी हूँ 


जानता  हूँ  मुझे  फेंकते हुए 


तू   बहुत   रोई   होगी !


न जाने कितने दिन-रात&nb

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