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स्नेहिल स्पर्श

R N ShuklaR N Shukla March 30, 2023
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हैं अनेकों यहाँ
तुमसा नहीं है
इस धरा पर !
हैं करोड़ों सूर्य !
पर ,
तुम सा नहीं 
आलोक उनमें ।

एक दिनकर है
तो क्या ? वह
हर ही लेता
गहन-तम को ।

एक हिमकर है ,
तो क्या
पड़ता है भारी 
जुगनुओं पर !

एक स्नेहिल स्पर्श !
भारी पड़ ही जाता 
आँसुओं पर !!


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