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राष्ट्र-प्रहरी

R N ShuklaR N Shukla March 24, 2023
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वंदन है अभिनंदन है !

रोम-रोम में स्पंदन है !

तेरे अतुलित पराक्रमों से

अरिदल में क्रंदन है ...

हे शत्रुजीत ! हे राष्ट्राधक !

हे मातृभूमि के रक्षक ! 

सर्व नाश कर देते –

तत्क्षण शत्रु पक्ष का !

नभ हो ,जल हो , थल हो

या  हों  हिमगिरि के –

उत्तुंग – शिखर !

अदम्य साहस तेरे अंदर !

कर जाते दुर्गम पथ पार 

बढ़ जाते...फिर चढ़ जाते

दुश्मन की छाती –

कर देते चरमर !

प्राणों को हर लेते तत्क्षण !

अति दुर्गम – दुस्तर  –दीर्घकाय

सीमाओं की रक्षा तुम्हीं हो करते !

प्राण  न्योछावर तुम ही करते  !

तुमसे ही अस्तित्व सुरक्षित 

मातृ – भूमि  का !

हे परमवीर ! राष्ट्र - प्रहरी !

तुम सबको –

शत् - शत् प्रणाम !

शत् - कोटि नमन !

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