
Share0 Bookmarks 422 Reads0 Likes
राजनीति के
गलियारों में
आनंद ही
आनंद है ,
और –
इस आनंद से
फैल रही
भीषण दुर्गंध है।
अब दुर्गंध है तो है
हमें क्या फर्क पड़ता
हमारे लिए
दुर्गंध ही सुगन्ध है
देखिए ना –
लोग कितने पस्त हैं !
एक-एक महानुभाव हैं
हर समय हर घड़ी –
रहते कितने मस्त हैं!
कितने बड़े त्यागी हैं !
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments