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तुम जरा आँचल पसारो
प्यार उसमें सौंपना है
प्यार उसमें सौंपना –
संसार उसमें सौंपना है
मन की सब कुंठा हटाओ
प्यार उसमें सौपना है
बाहें पसारे मैं खड़ा हूँ
आस के दामन को थामें
तुम हृदय का द्वार खोलो
जिंदगी का सार –
सारा सौंपना है
तुम जरा......
सामने हूँ मैं तुम्हारे
लो प्यार सारा ! सौपता हूँ !
तुम तनिक हृद को पसारो
प्यार के सब पुष्प
उसको सौंपना है !
शुष्क-जीवन-तरु को तेरे
स्नेह से रससिक्त कर
राग भरने के लिए –
अनुराग उसमें सौंपना है
तुम जरा .....
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