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प्रयागराज जंक्शन पे
मिली वो एक दिन –
प्रतीक्षालय में !
मुस्कुराकर पूछा उसने –
तुम्हें याद है ?
हम कब और कहाँ मिले थे ?
शायद जले पे नमक छिड़का उसने
मैंने उत्तर दिया- हाँ, भूला नहीं हूँ मैं
हम काशी के कैंट जंक्शन पे–
मिले थे– प्रतीक्षालय में !
और ,तभी से प्रतीक्षारत हैं
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