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कितना अच्छा होता –
जब, मनुष्य के –
कुकृत्यों से शापित ,
तापित औ'अभिशापित !
पर्यावरणीय अंगों का –
संरक्षण होता !
कितना अच्छा होता !
जब विध्वंसक हथियारों से
मुक्त ! मनुज होता !
औ' पर्यावरण शुद्ध होता !
लेते विशुद्धतम श्वांस !
सरल जीवन होता !
कितना अच्छा होता–
प्रकृति के अंग–संग
जब मानव का
मानव बनकर –
परिचय होता ,
तज क्रुद्धभाव, बन शुद्ध !
सरल जीवन होता !
कितना अच्छा होता
सबका तन,मन औ'वाणी पर
संयम होता ?
ऐसे ही सुन्दर-भाव !
पल्लवित होते जब जन-मन में
तब, कहीं कभी भी, किसी तरह का
पर्यावरण क्षत-विक्षत नहीं होता
सबकुछ मङ्गलमय होता ।
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