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नभमण्डल से भूमण्डल तक
दशों दिशाओं से ऊपर उठ
मैं ही जीवन का शाश्वत-पथ
सत्य सनातन ! सत्य सनातन !
गूँज रहा जय-गान सत्य का हृदय – उदधि में !
नाच उठे हैं प्राण ! सनातन उर – अंतर में !
दया - भाव ! करूणा अपार !पलता है मन में ।
स्वधर्म–गान ! परधर्म – मान !रहता है मन में !
सत्य – सनातन धर्म सदा जमता है मन में !
उत्थान – पतन के चरम -बिंदु देखे हैं हमने !
आतंकी आक्रांताओं के तापों को झेला है हमने !
गहन तमोमय विकृतियों को ठेलाऔ'रेला है हमने !
नैतिकता के मानदंड को कभी नहीं छोड़ा हमने !
सर्वोत्तम मूल्यों का संस्थापन !सत्य सनातन !
सत्य सनातन !
वर्ण - धर्म चाहे कोई हो
फ़र्क कहाँ पड़ता है मुझको
जो चाहे वो मिल ले मुझको
अपनाना यह मेरी संस्कृति !
परिधिमुक्त ! सद्भावयुक्त औ'
अपसंस्कृति से मुक्त सदा मैं
सत्य सनातन !!
सत्य सनातन !!
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