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नेताजी आये हैं

R N ShuklaR N Shukla March 26, 2023
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नेता जी आये हैं 
एक सुनिश्चित 
काल-खण्ड में
अतिसुंदर –
मार्तण्ड-हाल में 
ठहरे हैं ।

जनता से वो 
मिलने निकले 
जिंस जिस्म पर 
गन लटकाये
फॉर्चुउनर से 
नीचे उतरे ...
पान कचरते ,
पिच-पिच करते
गली-कूचों को 
गन्दा करते।

धन्य हुआ 
सौभाग्य हमारा
हमसे हाथ मिलाये हैं 
नेता जी आये हैं ।

मुद्दों की क्या बात करें वो
भागे – भागे चलते हैं।

जन–भागों को–
जबड़ों में दाबे 
पान सरीखे
कूँच-कूँच कर ,
जनता का रस 
चूस-चूस कर
पिच-पिच करते 
थूके हैं ।
बात हमारी 
नहीं हैं सुनते
मानो 
बहरे - गूँगे हैं ! 

आए हैं वो
कई साल पर 
हम सब तो हैं , 
उसी हाल पर !
गाल गुलाबी ,
आँख शराबी , 
चाल नबाबी ,
उनकी देखी !
ये  सब  है भाई !
किस्मत की लेखी ।

चलते हैं ओ 
डग-मग डग-मग 
पैर नहीं 
सीधे पड़ते हैं ।
गर्द उड़ाते आये थे
धुआँ बनाकर चले गए !

जुबाँ खुली !
अधखुली रह गई !
जनता तो भइया ,
ठगी रह गई !!





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