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वो ही भूली हुई घड़ियाँ
मुझे फिर याद आई हैं।
वही बहती हुई नदिया
वहीं फिर नाव का खेना
वहीं झुरमुट में लुक-छुप के
धड़कते दिल-सा हो जाना
वही हौले से मुसकाना
वही रुनझुन वही बातें
वही धीरे से गलबाहीं
मुझे फिर याद आई हैं।
वो ही भूली हुई घड़ियाँ
मुझे फिर याद आई हैं।
वही फिर चाँदनी रातें
वो उसकी प्यार की बातें
वही झूठी-सी रुसवाई
मुझे फिर याद आई है।
वो ही भूली हुई घड़ियाँ
मुझे फिर याद आई हैं।
सिमटकर पास आ जाना
लिपटकर प्यार से कहना
कि अपने यार को हमदम
कभी तुम भूल मत जाना
किये वादे उसने मुझसे
वो उसकी प्यार की बातें
मुझे फिर याद आई हैं
मुझे फिर से रूलाई हैं।
वो ही भूली हुई घड़ियाँ
मुझे फिर याद आई हैं...
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