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मौत आ भी जाये तो क्या –
डरती है जिंदगी ? नहीं–
स्वयं को जीकर ही रहती है जिंदगी !
कहाँ रुकी है ? कभी चुकी है,कहीं झुकी है ,
तो फिर सम्हल कर खड़ी हो, चल देती है जिंदगी !
कैंसर जैसी साक्षात् मौत को मात देती –
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