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मातृ-शक्ति !

R N ShuklaR N Shukla March 8, 2022
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हे मातृ शक्ति !

तुमको मेरा शत् शत् प्रनाम !

पुरुसत्व-मोह के दुरभिसंधियों को

तुमने कितना झेला!

न जाने कितने ही अतिचारों को

 हँस - हँस  के  रेला-ठेला !

सबके हितार्थ ही तेरा सुन्दर कर्म अहो !

हम नहीं समझ सके तेरा अनुपम धर्म अहो !

जिनके भी लिए तूने, जीवन का दान  किया !

उन लोगों ने तुमको, यह कैसा प्रतिदान दिया !

तेरे विभीषिकामय जीवन को लख कर–

मन करता रहता है अपने से प्रश्न सदा !

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