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मालिक और मजदूर !
कितना फर्क है !
मैं एक मजदूर !
मेरा जाँगर –
धनिकों के लिए
सोने की कुदाल है !
पर ,
मेरा जीवन –
मिट्टी है ! कंकड़ है ! प्रस्तर है !
मैंने सभी के लिए –
महल सरीखे घर बनाये !
पर , आज भी झोपड़ी में
रहने को मजबूर हूँ !
मैं शोषित मजदूर हूँ !
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