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मैं उल्लू हूँ !
उजाले में दुबका रहता हूँ !
अँधेरे में चमक उठता हूँ !
दिन का प्रकाश मुझे नहीं भाता !
अंधेरे में ही मुझे जीना है आता !
अन्धकार ही है ,मेरी नेत्र-ज्योति !
मेरे लिए प्रकाश
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