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किसी से कम नहीं हैं –बेटियाँ !
सृष्टि की श्रृंगार ! हैं हमारी बेटियाँ !
तम में सुन्दर विहान हैं बेटियाँ !
उमस भरी जिंदगी में –
सुन्दर-सुखद बरसात हैं बेटियाँ !
किसी से कम कहाँ हैं बेटियाँ ?
घर हो ,समाज हो ,या हो –
कालेज का विस्तृत प्रांगण !
गीत हो संगीत हो
कोई भी चाहे क्षेत्र हो !
हर क्षेत्र में कीर्तिमान गढ़ती
चल रही हैं बेटियां !
प्रधान हों , डिप्टी हों , कलक्टर हों –
वकील–न्यायाधीश , ज्ञान-विज्ञान !
चाहे हो कोई भी उच्चपदस्त पद !
अपने फैसलों और प्रतिभा से –
अचंम्भित कर रही हैं बेटियां !
इसीलिए –
कुछ जानवरों को छोड़ –
सबकी प्यारी – दुलारी –
हैं हमारी बेटियां !!
किसी से कम कहाँ हैं -
हमारी बेटियां !
शांति की विस्तार भी हैं !
सृजन का संसार भी हैं !
रस की समूची धार भी हैं
धर्म का प्रतिमान भी हैं !
कीर्ति की कृतिमान गढ़ती
बढ़ रही हैं बेटियाँ !
दुष्ट जन की ज्वाल भी हैं
युद्ध में ललकार भी हैं
गति में विजयनाद भी है
स्वातंत्र्य की हुँकार भरती
चल रही हैं बेटियाँ !
सृष्टि का श्रृंगार ! भी हैं
नित नया निर्माण भी हैं
प्रेम का दीपक जलाती
चल रही हैं बेटियाँ !
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