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पंक्षियों के जो पंख
गिर जाते हैं वो
जुड़ते कहाँ हैं ?
टूट कर गिरी डालें
वृक्ष से जुड़ती कहाँ हैं ?
डोर से कटी पतंग !
हवाओं संग उड़ जाती
जुड़ती कहाँ है ?
जो पल गुजर गए
वो आते कहाँ हैं ?
जीवन की डगर में –
जो बिछड़ जाते हैं
वो फिर मिलते कहाँ हैं ?
बस एक ही मन्नत
माँगता है ये दिल !
किसी से किसी का
प्यार ना रूठे !
उनका छूटना
जैसे दिल का
टुकड़ों में टूटना
उनका चले जाना
अनकहा दर्
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