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घड़ी हाथ में ,
घड़ी बँधी है ,
क्षण से ।
क्षण,
मुक्त है घड़ी से ।
और जिंदगी ,
बँधी है क्षण से ।
घड़ी हाथ में बाँध चला
ताक़ि
समय के साथ
चल सकूँ पल-पल !
घड़ी तो बंध गई,
क्षण को कैसे बांधू ?
छोटी-सी जिंदगी !
और– क्षण?अगणित !
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