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दीप ! यह बुझने न पाए !

R N ShuklaR N Shukla October 24, 2022
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दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं !

यह हृदय का दीप है ,
दीप ! यह बुझने न पाये !

ज्ञान का आलोक लेकर 
सत्य भावों को जगाकर
विषमभावों को भगाकर
जल ! अचंचल ! दीप मेरे 
सुपथ - मार्ग प्रशस्त कर दे

अज्ञानता के निविड़ तम में
ज्ञान – ज्योति  प्रपात  बन 
सम्पूर्ण वसुधा जगमगाये 
दीप ! यह बुझने न पाए !

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