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अड़ी पे एक दिन !
चाय पी ही रहा था –
मित्रों संग! कि
तुझपे नजर पड़ी !
तू थोड़ी दूर......पे
मुस्कुरा रही थी
खड़ी–खड़ी!
बला की सादगी थी
तेरी उस मुस्कुराहट में !
ओ सादगी तेरी,मुझे–
जीने भी नहीं देती !
मरने भी नहीं देती !
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